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हरियाणावाले ध्यान दें : आपके पास भी है पेट्रोल-डीजल वाली ये गाड़ियां? इस तारीख से नहीं मिलेगा तेल

हरियाणा के तीन बड़े जिलों – गुरुग्राम, फरीदाबाद और सोनीपत – में 1 नवंबर 2025 से 10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों को फ्यूल (fuel) नहीं मिलेगा। सरकार ने वायु प्रदूषण कम करने के लिए यह बड़ा फैसला लिया है, जो धीरे-धीरे पूरे एनसीआर (NCR) के 14 जिलों में लागू किया जाएगा। इसके लिए फ्यूल पंपों पर ANPR कैमरे लगाए जाएंगे, ताकि पुराने वाहनों की पहचान हो सके और उन्हें फ्यूल देने से रोका जा सके।

चंडीगढ़: अगर आपके पास 10 साल से ज्यादा पुराना डीजल या 15 साल से ज्यादा पुराना पेट्रोल वाहन है, तो यह खबर आपके लिए जरूरी है। हरियाणा सरकार ने तय किया है कि 1 नवंबर 2025 से गुरुग्राम, फरीदाबाद और सोनीपत में ऐसे वाहनों को फ्यूल नहीं मिलेगा। इस नियम का मकसद है वायु प्रदूषण को कंट्रोल करना और राजधानी दिल्ली समेत पूरे एनसीआर (Delhi NCR pollution control) में एयर क्वालिटी को बेहतर बनाना।

यह प्रतिबंध धीरे-धीरे बाकी जिलों में भी लागू होगा। योजना के मुताबिक, 1 अप्रैल 2026 तक एनसीआर के सभी 14 जिलों में यह नियम प्रभाव में आ जाएगा। सरकार इस काम को तकनीकी तौर पर मजबूत बनाने के लिए हर फ्यूल स्टेशन पर ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन कैमरे (ANPR cameras) लगा रही है। इन कैमरों की मदद से पुराने वाहनों की पहचान की जाएगी और उन्हें फ्यूल देने से मना कर दिया जाएगा।

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पहले फेज में ये कैमरे गुरुग्राम, फरीदाबाद और सोनीपत में 31 अक्टूबर 2025 तक इंस्टॉल कर दिए जाएंगे। जबकि शेष 11 जिलों में यह प्रक्रिया 31 मार्च 2026 तक पूरी हो जाएगी।

प्रदूषण पर सख्ती, सरकार का फोकस ग्रीन मोबिलिटी पर

यह फैसला वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के निर्देशों के बाद लिया गया है, जिसके तहत सरकार ने प्रदूषण फैलाने वाले पुराने वाहनों और कंस्ट्रक्शन साइट्स से उड़ने वाली धूल पर कंट्रोल के लिए एक रोडमैप तैयार किया है।

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सोमवार को मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की अध्यक्षता में सचिवालय में हुई उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में इस पूरी योजना की टाइमलाइन और इंप्लीमेंटेशन स्ट्रैटजी तय की गई।

बैठक में यह भी तय हुआ कि अब आगे से हरियाणा में सिर्फ CNG या इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर ऑटोरिक्शा (electric/CNG auto rickshaw) को ही परमिशन दी जाएगी। इससे सड़कों पर धुआं फैलाने वाले ऑटो की संख्या घटेगी और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा मिलेगा।

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ईंट भट्टों पर भी फोकस, बायोमास का होगा इस्तेमाल

सिर्फ गाड़ियों पर ही नहीं, सरकार ईंट भट्टों (brick kilns pollution control) में भी बदलाव ला रही है। पहले 2028 तक का लक्ष्य तय किया गया था कि धान की पराली से बने बायोमास पेलेट्स (biomass pellets) का इस्तेमाल ईंट भट्टों में शुरू किया जाएगा। लेकिन अब सरकार ने इसे दो साल पहले ही, यानी 2026 तक लागू करने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत ईंट भट्टों में 50% तक को-फायरिंग अनिवार्य होगी, जिससे कोयले पर निर्भरता कम हो सके और पराली को जलाने के बजाय उपयोग में लाया जाए

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